1. आचार्य श्री विद्यासागर जी महारज के विशाल संघ में सर्वप्रथम चरित्र शुधि व्रत का उपवास (1234) गुरु से लेकर मुनि श्री ने ही प्रारंभ किया |
2. भारत के 12 राज्यों में पैदल विहार मुनि श्री कर चुके हैं |
3. मुनि श्री आज तक सिद्ध क्षेत्र, कल्याणक क्षेत्र, अतिशय क्षेत्र आदि 150 क्षेत्रों की मुनि होने के बाद पैदल यात्रा करके दर्शन कर चुके हैं |
4. हिंदी भाषा में सर्वप्रथम चित्रालंकार काव्य की विशाल रचना मुनि श्री कर चुके हैं |
5. विश्व का सबसे बड़ा ऐतिहासिक पञ्च कल्याणक वाशी, नवी मुंबई महाराष्ट्र में परम पूज्य आशुकवि मुनि श्री १०८ उत्तमसागर जी महाराज जी के मार्ग दर्शन व सानिध्य में 1 मई से 5 मई 2014 तक विश्व में सर्वाधिक 1075 जिन्बिम्बो का अनूठा और अभूतपूर्व आयोजन हो चूका हैं |
6. मुनि श्री अभी तक 6 भाषाओँ में काव्य रचना कर चुके हैं – हिंदी, मराठी, कन्नड़,संस्कृत, इंग्लिश और बंगाली |
7. मुनि श्री 3 भाषाओं में धारा प्रवाह प्रवचन करते हैं – हिंदी, मराठी और कन्नड़ |
8. भारत के चारो धामों की यात्रा मुनि श्री पैदल कर चुके हैं – पूर्व में सम्मेद शिखरजी, दक्षिण में श्रवणबेलगोला, पश्चिम में गिरनार और उत्तर में बद्रीनाथ |
9. कर्मकांड, प्रवचनसार आदि प्राकृत के महान ग्रंथो का हिंदी भाषा में पद्यानुवाद मुनि श्री कर चुके हैं |
10. मुनि श्री आज तक 6,000 दोहे लिख चुके हैं |